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Jul 20, 2022

अंतरिक्ष में हर खतरे से अपने उपग्रहों की सुरक्षा करेगा भारत, जानें क्या है इसरो का IS4OM सिस्टम

अंतरिक्ष में हर खतरे से अपने उपग्रहों की सुरक्षा करेगा भारत, जानें क्या है इसरो का IS4OM सिस्टम


भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने एक नया सिस्टम तैयार किया है। इसका नाम 'इसरो सिस्टम फॉर सेफ एंड सस्टेनेबल ऑपरेशन एंड मैनेजमेंट' (IS4OM) है। भारत में तैयार IS4OM अंतरिक्ष विज्ञान में देश की मदद करेगा। इसे आप इस तरह से समझ सकते हैं कि अंतरिक्ष में तैरने वाले उपग्रहों की संख्या हजारों में होती है. पृथ्वी की परिक्रमा कर रहे ये उपग्रह विज्ञान, मौसम, कृषि और आंतरिक सुरक्षा से संबंधित विभिन्न देशों की जरूरतों को पूरा कर रहे हैं। इनमें 53 भारतीय उपग्रह हैं। इसके साथ ही हजारों ऐसे उपग्रह हैं, जो अब नष्ट हो चुके हैं और कक्षा में तैर रहे हैं। उनकी टक्कर मौजूदा उपग्रहों को नष्ट कर सकती है। यहीं पर IS4OM काम आएगा। यह अंतरिक्ष में मलबे का पता लगाता है और उसकी निगरानी करता है। इस प्रणाली की मदद से,

पीटीआई (PTI) की रिपोर्ट के मुताबिक इस सिस्टम को आज लॉन्च किया जा रहा है. केंद्रीय अंतरिक्ष राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह इसका शुरुआत करेंगे। इस दौरान इसरो चेयरमैन एस सोमनाथ भी उपस्थित रहेंगे। जानकारी के मुताबिक IS4OM का काम अंतरिक्ष में मलबे की पहचान करना और उसकी निगरानी करना है. इस प्रकार, यह स्पेस सिचुएशनल अवेयरनेस प्रोग्राम का भाग है।

यह हमारे उपग्रहों के साथ उनकी टक्कर का पता लगाने के लिए अंतरिक्ष में तैरते मलबे को ट्रैक करेगा और स्थिति को और खराब होने से रोकेगा। वह जो भी जानकारी मुहैया कराएगी वह सीधे अंतरिक्ष एजेंसी के बेंगलुरु स्थित मुख्यालय तक पहुंचेगी। इस परियोजना के तहत समर्पित प्रयोगशालाएं भी स्थापित की गई हैं। वह विभिन्न अनुसंधान एवं विकास गतिविधियों समेत अंतरिक्ष मलबे से संबंधित अपना कार्य पूरा करेंगी।

इसरो के अधिकारियों का कहना है कि IS4OM अंतरिक्ष संपत्तियों की सुरक्षा में देश की आत्मनिर्भरता को बढ़ाएगा। कंसोल, सॉफ्टवेयर और डिस्प्ले वाले अंतरिक्ष निगरानी और ट्रैकिंग नियंत्रण केंद्र का सोमवार को उद्घाटन किया जाएगा। इसके बाद भारत अंतरिक्ष में अपने उपग्रहों की रक्षा कर सकेगा।

ISRO सभी के आने वाले मिशनों की बात करें तो इनमें चंद्रयान-3 सबसे अहम है. इसे साल 2020 के अंत में लॉन्च किया जाना था, लेकिन कोरोना महामारी के चलते इसमें देरी हो गई। यह एक लैंडर-विशिष्ट मिशन है, जिसमें कोई ऑर्बिटर नहीं है। ऐसा इसलिए है क्योंकि चंद्रयान-2 का पहला ऑर्बिटर ठीक से काम कर रहा है।चंद्रयान -3 मिशन महत्वपूर्ण है क्योंकि यह चंद्रमा पर उतरने का इसरो का दूसरा प्रयास होगा और इससे इंटरप्लेनेटरी मिशन के मार्ग में सुधार होगा।

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